उस्ताद अहमदजान थिरकवा Ustad Ahmadjan Thirkva
जन्म: (1881; मृत्यु: 13-1-1976)
उस्ताद थिरकवा का जन्म उत्तर प्रदेश के मोरादाबाद गाँव में हुआ था। उनके दादा (मां के पिता) उस्ताद कलंदर बन्नाश एक कुशल तबला वादक और संगीतकार थे। कलंदर बख्श के दो बेटे, उस्ताद फैयाज हुसैन खान और खान साहब के मामा उस्ताद बसवार खान भी महान तबला वादक थे। साथ ही उनके चाचा उस्ताद शेर खान भी एक महान तबला वादक और संगीतकार थे। उनके पिता हुसैन बनाश है एक वायलिन वादक थे। इसलिए खान साहब को बचपन से ही संगीत विशेषकर तबला का चस्का लग गया। जब खान साहब 10-11 साल के थे, तो उनके बड़े भाई मियांजान उन्हें मेरठ के पास लालियान के उस्ताद मुनीर खा के पास तबला सीखने के लिए ले गए। उस्ताद मुनीरखा ने अपना हाथ देखने के लिए कुछ बजाने को कहा, उस समय, उस्ताद मुनीर खा के पिता, उस्ताद काले खान ने कहा, "देखो, यह बच्चे के हाथ कैसा थिरकता है।" तभी से वे खान साहब को 'थिरकू' कहने लगे। आगे थिरकू का 'थिरकवा' हुआ! उस्ताद मुनीर खान की बदौलत उन्हें लखनऊ, फर्रुखाबाद, दिल्ली और अजराड़ा नामक चार घरानों पर नियंत्रण मिल गया। उन्होंने लगभग 26 वर्षों तक उस्ताद मुनीर खान के अधीन अध्ययन किया। उस्ताद मुनीरखा ने 24 उस्तादों से ट्रेनिंग ली थी।
खान साहब के कलात्मक जीवन के दस महत्वपूर्ण चरण हैं:-
1) उस्ताद मुनिरखान साहब का गंडाबंधन 1892
2) दिन में 14-15 घंटे पढ़ाई और गहन रियाज
3) तैयार और परिपक्व तबला वादन और संगत
4) गंधर्व नाटक मंडल 1913-1920 में तबला वादक की नौकरी
5) दरबार बादक 1935-1946 रामपुर के नबाब तक
6) मेरिस कॉलेज (भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत कॉलेज-लखनऊ) में।
7)तबला के प्रोफेसर के रूप में नौकरी 1948-1949
8) राष्ट्रपति पुरस्कार 1953-1954
9) 'पद्म भूषण' पुरस्कार 1970
10) नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स, मुंबई में तबला के प्रोफेसर रोजगार 1971-1973
एम.वी. फिल्म डिविजन, आकाशवाणी, दूरदर्शन जैसी रिकॉर्डिंग कंपनियों के प्रयासों के कारण उनके अनगिनत ऑडियो टेप और वृत्तचित्र आज भी मौजूद हैं। इन रसिकों पर वर्तमान और भावी पीढ़ियों का अनंत आशीर्वाद है।
दाहिने हाथ की अंगुलियाँ चाटी को छूकर माथे से लगायेंगी अथवा दोनों हाथ इसी क्रम में चेहरे को नीचे से ऊपर तक स्पर्श करेंगे। अजमेर के बेचारे नक्साज़ पीरा, बूढ़े आदमी का चिंतन किया गया। उनका लिंक मस्तिष्क के मूल में संग्रहीत हो जाएगा और फिर लयबद्ध कीमिया शुरू होगी जो दर्शकों को घंटों तक बांधे रखेगी।
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