उस्ताद अल्लारखा Ustad Allarakha

 उस्ताद अल्ला रखा, जिन्हें अल्ला रखा ख़ान के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक प्रमुख तबला वादक थे। उनका जन्म 29 अप्रैल 1919 को जम्मू में हुआ था। अल्ला रखा को तबला वादन के क्षेत्र में उनकी बेमिसाल प्रतिभा के लिए जाना जाता है, और उन्होंने विश्व भर में भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 


जीवनशैली

- संगीत के प्रति समर्पण: उस्ताद अल्ला रखा का जीवन संगीत और तबला के प्रति समर्पित था। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया और इसे अपने जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बना लिया। उनकी साधना और समर्पण ने उन्हें तबला वादन में अद्वितीय ऊँचाई तक पहुँचाया।


- सादगी और विनम्रता: उस्ताद अल्ला रखा बहुत ही सादगीपूर्ण और विनम्र व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी प्रसिद्धि के बावजूद अपने जीवन में सादगी बनाए रखी और संगीत को ही अपने जीवन का केंद्र माना। 


- गुरु-शिष्य परंपरा: उन्होंने अपने गुरु से मिले ज्ञान को पूरी तरह से आत्मसात किया और उसे अपने शिष्यों में बाँटा। उस्ताद अल्ला रखा ने तबला की शिक्षा को नए आयाम दिए और उनकी गुरु-शिष्य परंपरा में कई महान तबला वादक तैयार हुए।


- प्रसिद्धि और सम्मान: उन्हें भारत रत्न, पद्म भूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी सरलता और संगीत के प्रति समर्पण को प्राथमिकता दी।


- परिवार: उनका परिवार भी संगीत से जुड़ा हुआ था। उनके पुत्र, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, भी विश्व प्रसिद्ध तबला वादक हैं। अल्ला रखा ने संगीत को अपने जीवन के हर पहलू में शामिल किया और इसे अपने परिवार में भी स्थान दिया।


- विश्व संगीत के साथ संपर्क: उस्ताद अल्ला रखा ने कई अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ भी काम किया और भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व मंच पर प्रस्तुत किया। उन्होंने पाश्चात्य संगीतकारों के साथ भी संगीत का आदान-प्रदान किया, जिससे उनका संगीत और भी समृद्ध हुआ।


उस्ताद अल्ला रखा का जीवन संगीत के प्रति अद्वितीय समर्पण और सादगी का उदाहरण है। उन्होंने तबला वादन में जो योगदान दिया, वह आज भी संगीत प्रेमियों और कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।




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